TEA STALL

रमणभाई गाव में रहेते थे। इसलिए वो गाव में खेती करते थे। जगा ने गाव की स्कुल में 7 धोरण तक पढाई की थी। परन्तु अब गाव में आगे के क्लास न होने कारण वो आगे नहीं पढता हे। इसलिए रमणभाई उसको खेत में काम कराने के लिए ले जाते हे खेत पर उसको खेत का काम नहीं फाता। इसलिए वो घर पे ही रहेता था। जगा गाव के लडको के साथ गीली डंडा और कई और खेल खेलते थे।
        एक दिन गाव में मोहनभाई आये। उनका मोरू सिटी में बस स्टेशन पे चाय की दुकान थी। उनको चाय की दुकान पे दो लड़के चाहिए थे। एक तो मनुभाई का लड़का हिरा कन्फोर्म था। और दूसरा लड़के को ढूढ़ रहे थे। पास के घर के मोहनभाई रमणभाई से गुजर रहे थे तब कंचनबेन ने उनको देख लिया। बाद में उनको चाय पिने के लिए बुलाया और मोहनभाई उनको चाय पिने के लिए उनके घर आये।

        कंचनबेन मोहनभाई को बोले "केसे गाव में आना हुआ।"
    मोहनभाई बोले "बस ऐसे ही, गाव में आया था। तो सोच की चलो भाई गाव में घूम आये। गाव को देखकर मन हो ठंडा गया, भाभीजी भाईसाहब केसे हे सब की तबित खेर में हेना। और हमारा मुना जगा क्या कर रहा वो पढाई कर रहा हे की पढाई करनी छोड़ी। "
            कंचनबेन कहा, "हाल ही में पढाई छोड़ी हे। गाव की स्कुल में जीतने तक पढ़ा जाता था उतने तक पढ़ लिया हे। अब शहर में तो खर्चा कराके तो पढाई नहीं करा शकते। इसलिए वो अब कभी कभी खेत में काम करने जाता हे और बाद घर पे रहेता हे। "
   
    मोहनभाई ने कहा, "आप को एक बात कहू तो आपके जगा को में मेरी दुकान पर रख लेता हु, ऐसे भी मुझे एक लड़के की जरूरत हे। घर का लड़का होगा तो काम भाई अच्छा करेगा और वो वहा कुछ काम सीखेगा तो वो अपनी दुकान शहर में भी बना शकता हे। उसकी तरकी होगी वहा आके। "
       कंचनबेन ने कहा "में उसके पिताजी को पूछ कर कहती आपको। ''
   
    शाम को रमणभाई घर आये। बाद में रमणभाई को मोहनभाई की बात कही। पहेले तो उन्होंने ना कहा। कंचनबेन के समजाने से रमणभाई जगा को वहा भेजने को मान जाते हे। जब सुबह मोहनभाई घर पे पूछने को आते हे तब कंचनबेन हा कहती हे।
   कंचनबेन ने कहा "मोहनभाई कब जाना हे शहर। ''
      मोहनभाई बोले "कल सुबह जाना हे तो तेयार कर के रखना। में कल सुबह उसको लेने ले लिए आयुगा।"
        जगा ने सोचा की शहर में मजा आ जायेगी वो जाने के लिए उत्साह में था। दो दिन के बाद मोहनभाई आये। मोहनभाई दोनों लडको को लेकर बस स्टेशन गये। मोहनभाई ने शहर जाने की टिकिट ली। जगा और मनु दोनों बस की खिड़की के पास में बेठे। बस चलने लगी मोहनभाई बस बेठे बेठे सो गये। मनु और जगा खिड़की के पास बैठकर बहार देखते रहे। ढाई घंटे के बाद बस शहर पहुची। सभी पेसेंजर निचे उतरे। मोहनभाई दोनों को सीधे उनकी दुकान पर ले गये। क्या क्या काम करना हे वो समजा दिया।
                मोहनभाई बोले "कल से यहा काम करना पड़ेगा और छ सुबह बजे आना पड़ेगा।"
         मोहनभाई ने छ सुबह बजे दोनों को जगाया। छ बजे से ही चाय की आवाजे हो चालू गई। पुरे दिन वो दोनों चाय चाय चिलाते रहे और चाय बेचते रहे। कोई अच्छा व्यक्ति आता तो उनको दस-बीस रुपिये ऐसे ही देके चला जाता। कितिनी बार जगा और दुसरे चाय हो बिच फाइट भी के वाले जाती थी।
      बस स्टेशन में अगर कोई ड्राइवर कहेता की "एक कटिंग चाय।"
 जगा दोड के उसको चाय देने जाता था। वो कितनी बार थोड़ी ज्यादा चाय भी दे देता था.सारे बस स्टेशन में जगा की पहचान बन गयी थी।
   इसलिए मोहनभाई उसको बोलते थे की "ज्यादा चाय नही देना। ''
           एक दिन सुबह दूध के केन को जगा का गलती से हाथ लगा और केन निचे गिर गया। सारा दूध निचे बह गया। मोहनभाई की आखे ये देखकर चोट गयी।
   मोहनभाई जगा को बोले "हाथ हे की नहीं हे सभी चीजे नीचे गिरा हो देतो।
     बाद में वो जगा को मारने लगे। जगा को वो पिटाईसहन न हुई।
 जगाने बोला "भूल से गिर गया हे जान भुज के तो नहीं गिराया हे।"
        मोहनभाई बोले "साले, दूध गिरा के, फिर भी मेरे सामने बोल रहा हा।"
  जगाने कहा, "अगर आप मुझे मारेगे तो में यहा से चला जायूँगा.नहीं चाहीये मुझे आपकी नोकरी।"
    मोहनभाई बोले "दूध गिराया उसका पहेले पैसा दे बाद में नोकरी छोड़ने की बात करना।"
   जगा ने कहा "में नहीं दुगा पैसा, मेने थोडिक जान भुज के दूध गिराया हे।"
जगा इतना बोला की मोहनभाई ने टेबल पर रखी हुई साड्सी जगा को मारी। जगा भी मार सहन नहीं कर शकता हे वो भी गुस्से में आ कर मोहनभाई को खुर्शी मरता हे।
     ये फाइट देखकर बस स्टेशन पर के सभी लोग हो इकट्ठा जाते हे। दो-तिन लोग उनको अलग करते हे। और मोहनभाई को समजाते हे की बच्चा हे हो गलती जाती हे बच्चे को कोई ऐसे मरते हे क्या।
     मोहनभाई बोले "दोसो रुपिये का दूध गिराया हे उसके पेसे कोण देगा.अभी तो दुकान भी खोली नहीं हे.खा से लायूँगा दोसो रुपिये। ''
     रामभाई ड्राइवर जगा को घर चले जाने को कहेते हे पर मोहनभाई उसको जाने के लिए मना करते हे। मोहनभाई उसको दुकान में ले जाते हेऔर गिरा हुआ दूध साफ़ करने को कहेते हे।
जगो रोते रोते गिरा हुआ दूध साफ़ करता हे।
      सभी लोग ये तमाशा देखकर चले जाते हे और जगा दुकान पे काम करता रहेता हे।

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