BHAGAT

      भगत उनका दूसरा नाम था। उनका ओरिजन नाम कोई नहीं जानता था। पर सभी दुकानदार उनको भगत के नाम से ही जानते थे। वो सीधे-साधे व्यक्ति थे। वो व्यवसाय से छकड़े के ड्राइवर थे। उनके छकड़े में रख्रे हुए माल को कभी वो छूते भी नही थे.वो माल को जहा हो पहचाना वहा पहुचाने में ही मतलब रखते थे। दूसरा कोई गलत काम नहीं करते थे।

     ऐसे तो हमारी दुकान पे पूरा सप्ताह फुल ग्राहक की भीड़ रहेती थी.पर सोमवार और मंगलवार को जयादा भीड़ रहेती थी। ऐसे में ही आज सोमवार था इसलिए हमने ओडर पुरे करके तेयार मक्के रखे। फिर भगत उनका छकड़ा लेकर आ गये। भगत को आज धानेरा का फेरा था इसलिए शेठने हमारे पास धानेरा का माल छकड़ा में भरवाया। ऐसे तो भगत को हम ज्यादा नहीं जानते हे पर वो दो महीने पहेले हमारे यह फेरा करने को आये थे बाद में वो रोज हमारी दुकान पे फेरा करने आ जाते थे इसलिए हम उनको ही फेरा देते थे। वो माल भी सही टाइम पे पहुचा देता था।

          बाद में वो धानेरा का फेरा लेकर दुकान से निकले। धानेरा के दुकानदार को 20 दिन के लिए बाहर जाना था इसलिए उन्होंने भगत को 30 हजार रुपिया दिया क्यों की भगत वापस हमारी ही दुकान पर आने वाला था। वरना वो लोग जब हम उघरानी पर जाते थे तब ही वो लोग पैसा देते थे। उस दूकानदार ने हमारे शेठ को फोन कर के कह दिया था की भगत को 30 हजार रुपिया दिया हे तो उसके पास से पेसे ले लेना। ऐसे तो भगत हररोज एक या दो बजे वापस आ जाते थे पर आज पाच बज गये परन्तु वो नहीं आये। शेठ को चिंता होने लगी की भगत अभी तक क्यों नहीं आया। शेठने भगत को फोन करने को बहोत बार ट्राय किया परन्तु फोन नहीं लगा। इसलिए शेठ चिंता करने लगे की भगत पेसे लेकर भाग तो नहीं गया ना। शेते भगत को बार बार फोन करा पर फोन लगा नहीं.शेठने सामनेवाले दुकानदार को भी फोन करा और पूछा पर उन्होंने कहा की भगत तो कब का हमारी दुकान से पेसे लेकर निकल गया हे। शेठ तो बहोत गभरा गये की जरुँर भगत पैसा लेकर भाग गया होगा।

   

     शेठ बोले "कितने दी तक पेसे लेकर भागे गा, अक दिन वो जरुर पकड़ा जायेगा।"

           बाद में शाम के आठ बज गये। अभी तक भगत का कोई पता नहीं लगा था। बाद में हम दुकान बंद कर के घर चले गये। दो

     दो हो दिन गये थे। अभी तक भगत दुकान पैसा लेकर नहीं आया था। शेठ सोचने लगे की पैसा गया और दूसरा दिन भी कट गया। तीसरे दिन जब हम दुकान खोल रहे तब भगत अपना छकड़ा लेकर आया। अब शेठ के कलेजे में थोड़ी सी ठंडक आई। शेठ को भगत पर बहोत गुस्सा था पर वो चुप रहे।

    भगत ने शेठ को कहा, "देरी हुई उसके लिए माफ़ करना।"

शेठ बोले "भगत आप कितिनी देरी करते हे की हमको दो दो दिन तक आपका इंतजार करना पड़ता हे। इतने दिन कहा खो गये थे भगत।"

    भगत ने हस्ते हसते कहा "जनाब, अभी तो में उसका कारण नहीं बताऊगा।"

शेठ ने कहा, "और हा, आप फोन क्यु नहीं उठा रहे थे उसका तो कारण बताओ।"

        भगत ने कहा, "फोन न उठाने कारण हे मेरे मोबाईल का चार्जिंग हो पुरा गया था। और मुझे मोबाईल चार्ज करने का टाइम भी नहीं मिला इसलिए मोबाईल स्विच हो ऑफ़ गया था।"

     भगत ने अपने पेन्ट 30 से हजार रुपिये निकाल कर शेठ को दिए में खिचे के। शेठ को सकून मिला की पैसा तो मिल गया।

          शेठ ने कहा, "अब तो देरी से आने का कारण बताओ।"

भगत ने कहा, "असल में ऐसा हुआ की में धानेरा से पेसे लेकर दुकान निकला पर रस्ते में मेरे को किसी का फोन आया।"

  में ने पूछा "हलो, कोण हे आप।"

      फोन करने वाले भाई ने बताया की "आप रामजीभाई बोल रहे हे।" में ने कहा, "हा, में रामजीभाई बोल रहा हु, क्या काम हे भाई।"

                  फोन करने वाला बोला, "आपकी वाइफ का एक्सीडेंट हुआ हे उनको पालनपुर सिविल हॉस्पिटल में भरती किया हे आप जल्दी से हॉस्पिटल आ जायो।"

 भगत बोले "ज्यादा तो नहीं लगा हे पर पैर थोडा सा छिल गया हे। और सबकुछ ठीक हे। काल शाम को डोक्टर ने छुटी दी ओर कल शाम को घर आये और आज सुबह ही आपके पेसे याद आये तो में आपको देने के लिए चला आ गया। बस अब में चलता हु। "

      शेठ बोले "पेसे बेसे की जरूरत पड़े तो बे जिज्क बोल देना पैसा मिल जाएगा। अगर पेसे हो की जरुर तो ये पेसे भी ले जायो। और चिनत मत करना सबकुछ हो ठीक जाएगा।

        भगत बोले "पेसे की तो कोई जरुरत नहीं हे तो में अब चलता हु।"

        बाद में भगत अपना छकड़ा लेकर घर की तरफ चलते हे।

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