SUMMER

सूरज की गर्मिया में गलिया हे सुमसाम
फिर भी सूरज नहीं होता हे महेरबान
माग होती हे पानी की इस ग्रीष्मकाल में
फिर भी लोग नाते हे पसीने से गर्मियों में
सुबह साम होती हे ठंडक इस दिल को
पर वो तडपता हे दोहपर को इस गर्मियों में
तोबा तोबा करते हे लोग इस समर्स की गर्मिया में
पेड़ के छाये के बिना कही नहि मिलती ठंडक इस गर्मियों में
वैसाख कि हवा नहीं लगती पर
पर लगती हे जिव-जन्तुयो को लू इस दोपहर की गर्मियों में 
लोग इस गर्मियों से बचने के लिये
करते हे पंखा, ऐसी, कूलर, बिगेरे चालू
फिर भी नहीं मिलती इस गर्मियों में ठंडी विंटर जेसी
मकरसंक्राति को हम नहीं धंकते ऊपर देखने को इस सूरज के प्रकाश में
पर आखे बंद हो जाती हे इस ग्रीष्मकाल के प्रकाश में
जिससे हम रहेते दूर बरसात की सीजन में
उसके बिन नहीं रह शकते इस ग्रीष्मकाल में
कोई कहेता हे सर्दियों में गर्मी होती तो अच्छा होता
गर्मियों में वो कहेता हे की सर्दियों होती  तो अच्छा होता
जितना रंग  होली में नहीं लगता इस चहेरे पर
उतना पसीना लगता जाता हे इस गर्मियों में
दिल से भी ज्यादा कठोर इस डामर के रोड पे
प्यासे को भी पानी दिख जाता हे इस काले रोड पे इस गर्मियों में
दुनिया के सुंदर सुंदर चहेरे भी
ढक जाते इस ग्रीष्मकाल की गर्मियों में
जूते और छाये के बिना
हम नही चल शकते इस गर्मियों में
गरम हो जाती हे टाल और जल जाते हे पेर
इस ग्रीष्मकाल की गर्मियो मे
दोपहर को भोपू भोपू आती हे लारिमा
बच्चे खाते हे बरफ के मीठे मीठे गोले इस गर्मियों में
चार रस्ते चार रस्ते पर लगती हे
परबे ठंडे ठंडे पानी की इस गर्मियों में
साइकल नहीं पर बड़ी बड़ी गाडियों में से लोग उतर के
पीते हे ठंडा ठंडा पानी परब पे इस गर्मियों में
गाव के कच्चे रस्ते पे बबुल के पेड़ के निचे बेठ कर
इंतजार करते हे लोग बस की इस गर्मियों में
बस स्टेशन में लगती हे बस की आजू-बाजू
चीखे ठंडे ठंडे पाउच और बोतले की इस गर्मियों में
गरमी के ग्रीष्मकाल में गरम हो जाते ठंडे पानी के तालाब
तभी भी भेसे नहाती हे इस गर्म तालाब में 
हिमालय के हिम भी
पिगल जाते हे इस ग्रीष्मकाल की गर्मियों में
ये ग्रीष्मकाल हे दोहपर के समय बड़ा कातिल
पर दोहपर को सभी भागते दूर इस गर्मियों से
कच्चे कच्चे ये केसर आम
ग्रीष्मकाल को पुरे होने से पहेले पक जाते हे इस गर्मियों में
लगते हे रोड रोड पे टेन्ट तरबूज के इस गर्मियों में
तंबू में तरबूज खाने की मजा आती हे इस गर्मियों में
दिन को भगाता हे
और रात को ठंडक देती हे रेगिस्तान की रेत
कच्चे भी पक जाते हे
सूरज के ग्रीष्मकाल की गर्मियों में  
पक्षी-प्राणी भी ढूढ़ते हे छाया 
ग्रीष्मकाल की इस गर्मियों में 
चलते चलते पसीनो से रेबजेब 
हो जाते हे इस गर्मियों में 
पक्षी नहीं पर उनके खोसले
हो जाते हे गरम इन गर्मियों में 
छोटे बच्चे नही खेल सकते नहीं घूम सकते 
इन ग्रीष्मकाल की गर्मियों में 
सुबह शाम होता हे सोनेरी 
दोपहर होते ही हो जाता हे लाल ये सूरज इस ग्रीष्मकाल में 
दोपहर को दिखाता हे बड़ा ऊँचा परा 
तभी भी नहीं थकता हे ये सूरज इन गर्मियों में 
बड़े बड़े महासागर के पानी भी
उड़ जाते हे भाप बनकर इन गर्मियों में